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    सोनम रही हैं वेट्रेस तो अक्षय शेफ, कभी ऐसे काम किया करते थे ये 17 सेलेब्स


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    31 साल की हो चुकीं सोनम कपूर के बारे में कम ही लोग जानते होंगे कि 15 साल की उम्र से ही वे इंडिपेंडेंट लाइफ जी रही हैं। इसके चलते उन्हें बतौर वेट्रेस भी काम करना पड़ा था। दरअसल सोनम जब पढ़ाई के सिलसिले में सिंगापुर गई, तब उनकी पॉकेट मनी बहुत कम हुआ करती थी। इसी वजह से उन्होंने एक रेस्त्रां में वेट्रेस की नौकरी की। खुद सोनम ने इस बात का खुलासा सिमी ग्रेवाल के चैट शो में किया था। क्या कहा था सोनम ने...
    सोनम के मुताबिक, "मेरे पेंरेट्स ने कभी मुझ पर अपनी स्टारडम हावी नहीं होने दी और हमेशा मुझे एक आम लड़की की ही तरह ट्रीट किया।" उन्होंने इस शो में बताया था कि उनके पेरेंट्स उन्हें डिजायनर कपड़े नहीं दिलवाते थे, यही वजह है कि उन्होंने अपने शौक पूरा करने के लिए वेट्रेस की नौकरी करने का मन बनाया।
    इस रिपोर्ट के जरिए हम आपको ऐसे ही कुछ बॉलीवुड स्टार्स की जिंदगी के उन अनछुए पहलुओं को बता रहे हैं, जिन्हें कम ही लोग जानते हैं:

    कभी होटल में अक्षय ने धोए थे बर्तन

    बतौर एक्टर अपने करियर की शुरुआत करने से पहले अक्षय कुमार ने काफी पापड़ बेले हैं। बैंकाक में अक्षय ने अपना खर्चा चलाने के लिए वेटर से लेकर खाना बनाने तक का काम किया है। वे जिस होटल में काम करते थे, कभी-कभी उन्हें वहां बर्तन भी धोने पड़ते थे।

    फिल्मों में आने से पहले अमीषा थी इकॉनोमिक एनालिस्ट
    अमीषा ने ग्रैजुएशन के बाद बतौर इकोनॉमिक एनालिस्ट खंडवाला सिक्युरिटी लिमिटेड में बतौर इकॉनोमिक एनालिस्ट करियर शुरू किया, लेकिन यह उन्हें ज्यादा दिनों तक रास नहीं आया। इसके बाद सत्यदेव दुबे का थिएटर ग्रुप ज्वाइन कर लिया। अमीषा ने ब्लॉकबस्टर मूवी 'कहो ना प्यार है' से बॉलीवुड डेब्यू किया था।

    परिणीति चोपड़ा फिल्मों में आने से पहले थीं एक बैंकर
    परिणीति फिल्मों में आने से पहले एक बैंकर के रूप में काम कर चुकीं हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा था कि असल बात तो यह है कि मैं कभी एक्ट्रेस बनना ही नहीं चाहती थी। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं एक्ट्रेस बनूंगी। मैं एक्टर-एक्ट्रेसेस से नफरत करती थी। मुझे लगता था कि ये लोग अपने काम के बारे में बहुत ड्रामा करते हैं।" परिणीति ने यह भी कहा था, "मुझे लगता था कि ये लोग सज-धजकर दो डॉयलाग बोलते हैं और इसी के लिए उनको बहुत सारा पैसा मिलता है। इनका काम ही है फेमस रहना। इसलिए मैं एक्ट्रेस नहीं बैंकर बनना चाहती थी। लेकिन जब लंदन में मंदी आई, तो मैं इंडिया लौट आई।" इंडिया आकर परिणीति ने अपने करियर को फिर से शुरू करने के लिए हाथ-पांव मारे, लेकिन बात नहीं बनीं। बाद में उन्हें यशराज फिल्म्स में नौकरी मिल गई और यही उनकी जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट भी साबित हुआ। परिणीति का मानना है कि यदि उन्हें तब भारत में बैंकर की नौकरी सही वक्त पर मिलती, तो वे कभी एक्ट्रेस नहीं बनती।

    मल्लिका फिल्मों में आने से पहले थीं एयरहॉस्टेस
    मल्लिका शेरावत बॉलीवुड में आने से पहले एक निजी एयरवेज कंपनी में एयरहोस्टेस थीं। मल्लिका का असली नाम रीमा लांबा है। हरियाणा से ताल्लुक रखने वाली मल्लिका ने एयरहोस्टेस रहते हुए एक पायलट से शादी भी की थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपनी नौकरी और हसबैंड दोनों को छोड़कर फिल्म इंडस्ट्री का रुख किया।

    सुपरस्टार बनने से पहले बस कंडक्टर थे रजनीकांत
    आज रजनीकांत सुपरस्टार हैं, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि किसी जमाने में रजनीकांत मुंबई की बेस्ट बस सर्विस में कंडक्टरी किया करते थे। भारत के सबसे महंगे स्टार्स में शुमार रजनीकांत के एक्टर बनने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। 1975 में जिस बस में रजनीकांत कंडक्टर थे, उस में फिल्मकार बालाचंदर चढ़ गए। उन्होंने रजनीकांत के सिगरेट पीने के अंदाज को देख उन्हें अपनी फिल्म में काम करने का ऑफर दिया और यहीं से रजनीकांत का फिल्मी सफर भी शुरू हो गया।

    जॉन अब्राहम थे मार्केटिंग कंपनी में मीडिया प्लानर
    जॉन अब्राहम फिल्मों में आने से पहले एक मार्केटिंग कंपनी में मीडिया प्लानर थे। जॉन ने अपने शुरुआती दौर में लंबे समय तक मीडिया प्लानर का ही काम किया। एक दिन उनकी पर्सनेलिटी देखकर एक फैशन फोटोग्राफर ने उनकी तस्वीरें ली। संयोग से यह फोटोग्राफर जॉन की तस्वीरें एक मॉडलिंग फर्म के यहां भूल गया और यही जॉन के करियर का टर्निंग प्वाइंट भी साबित हुआ। इस कंपनी ने जॉन को मॉडलिंग के लिए अप्रोच किया और वे तैयार हो गए। इसके बाद जॉन पंजाबी सिंगर जैजी बी के म्यूजिक वीडियो में नजर आए और फिर धीरे-धीरे फिल्मों में आ गए।

    वॉचमैन की नौकरी कर चुके हैं नवाजुद्दीन
    फिल्मों में अपना सफर शुरू करने से पहले नवाज वॉचमेन और केमिस्ट की नौकरी कर चुके हैं। जब नवाज मुंबई आए, तो यहां गुजारा करना उनके लिए मुश्किल था। एक वक्त ऐसा भी आया, जब उनके पास रूम का रेंट चुकाने के पैसे भी नहीं बचे।

    ऐड एजेंसी में कॉपीराइटर रहे हैं रणवीर सिंह
    रणवीर सिंह का अतीत भी कोई बहुत ज्यादा आकर्षक या बेहतर नहीं रहा है। फिल्म 'बैंड बाजा बारात' से बॉलीवुड में कदम रखने वाले रणवीर बॉलीवुड में आने से पहले एक जानी-मानी विज्ञापन एजेंसी में काम करते थे। मुंबई में इस ऐड कंपनी में रणवीर कॉपीराइटर के पद पर थे। बाद में अपने डायरेक्टर दोस्त मनीष शर्मा के कहने पर रणवीर एक्टिंग फील्ड में आए थे।

    अंग्रेजी बोलना सिखाते थे आर. माधवन

    '3 इडियट्स' स्टार माधवन के पास इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग की भी डिग्री है लेकिन माधवन ने इस फील्ड में अपना करियर नहीं बनाया। माधवन का सपना एक्टर बनने का ही था। लेकिन हां, इस सपने के बीच अपना खर्चा चलाने के लिए माधवन लोगों को अंग्रेजी बोलना सिखाते थे। माधवन ने कॉलेजेस में पब्लिक स्पीकिंग और कम्युनिकेशन स्किल्स खूब पढ़ाया है। आज आलम ये है कि इस एक्टर को हॉलीवुड से फिल्मों के ऑफर आ रहे हैं।

    फल बेचते थे दिलीप कुमार
    दिलीप कुमार के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं कि वह फिल्मों में आने से पहले एक कैंटीन के संचालक थे। इतना ही नहीं दिलीप कुमार का बचपन बेहद मुफलिसी में बीता। दिलीप की फैमिली जब पहली दफा मुंबई पंहुची तब उन्होंने शुरुआत में मुंबई की सड़कों पर फल तक बेचे हैं।

    टाइम पास करने के लिए जॉनी वॉकर करते थे यात्रियों से मसखरी और बन गए एक्टर
    मशहूर कॉमेडियन जॉनी वॉकर फिल्मों में आने से पहले बस में कंडक्टर थे। बस में वह अपना टाइमपास करने के लिए मसखरी कर सवारियों को हंसाया करते थे। यही बात उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में खींच लाई। एक दिन जॉनी वॉकर बस में अपनी सवारियों से ऐसे ही मसखरी कर रहे थे कि संयोग से उनपर बलराज साहनी की नजर पड़ गई। बलराज ने जॉनी को अपने पास बुलाकर फिल्मों में काम करने के बारे में पूछा तो वे झट से राजी हो गए। बस यहीं से इंडस्ट्री को जॉनी वॉकर के रूप में एक उम्दा कॉमेडियन मिल गया।

    जम्पिंग जैक जीतेन्द्र करते थे नकली ज्वैलरी की सप्लाई
    बॉलीवुड के जंपिंग जैक यानी कि जीतेन्द्र फिल्मों में आने से पहले ज्वैलरी सप्लाई करते थे। इसे वी. शांताराम की पारखी नजर का ही कमाल मानिए कि उन्होंने स्टूडियो-दर-स्टूडियो नकली जेवरों की सप्लाई करने वाले रवि कपूर नामक एक लड़के को हिंदी सिनेमा का जंपिंग जैक बना दिया। नकली जेवर बेचने वाले जीतेन्द्र को असली एक्टर बनाने के लिए वी शांताराम को भी कुछ कम पापड नहीं बेलने पड़े। अपनी पहली फिल्म में एक डायलॉग को सही तरीके से बोलने के लिए जीतेन्द्र ने इतने रीटेक किए कि शांताराम जैसे शांत स्वभाव वाले डायरेक्टर भी धीरज खो बैठे। 25 रीटेक के बाद भी जब जीतेंद्र सही डायलॉग नहीं बोल पाए तो आखिर हार कर शांता राम ने गलत डायलॉग को ही ओके कर दिया।

    मोटर मैकेनिक से बॉलीवुड तक, गुलजार के काम में है परफेक्शन
    फिल्म डायरेक्शन हो या फिर गीतों, शायरी और नज्मों की रचना गुलजार के काम में परफेक्शन झलकता है। गुलजार का वास्तविक नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है। गुलजार का जन्म पंजाब प्रान्त के झेलम जिले के दीना गांव में हुआ, जो कि अब पाकिस्तान में है। बंटवारे के बाद गुलजार अपने परिवार सहित अमृतसर आ गए और कुछ दिनों बाद काम की तलाश में मुंबई पंहुंच गए। तब गुलजार ने मुंबई के वर्ली रोड़ इलाके में एक मोटर मैकेनिक के तौर पर काम किया था।

    सातवीं पास जॉनी लीवर कभी थे एक मामूली सेल्समैन
    अपनी कॉमेडी के जरिए हिंदी सिनेमा में अलग जगह बनाने वाले जॉनी लीवर महज सातवीं पास हैं। उनके परिवार के पास उन्हें आगे पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे। इसके बाद जॉनी लीवर ने छोटे-मोटे धंधे करने शुरू कर दिए। वे मुंबई की सड़कों पर फिल्म स्टार्स की मिमिक्री कर पैन बेचा करते थे। फिल्मों में आने से पहले वे हिंदुस्तान लीवर कंपनी के सेल्समैन हुआ करते थे। जॉनी ने अपने नाम के पीछे लीवर सरनेम इसी कंपनी के नाम से लिया है।

    मिलिट्री सेंसर ऑफिस में 160 रुपए प्रतिमाह पर काम करते थे देवआनंद
    क्या आपको विश्वास होगा कि अपने जमाने में लाखों सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले देव आनंद एक जमाने में महज 160 रुपए प्रति महीना पर मिलिट्री सेंसर ऑफिस में नौकरी करते थे। जल्दी ही उन्हें प्रभात टाकीज के बैनर तले बनीं फिल्म 'हम एक हैं' में काम करने का मौका मिला और पुणे में शूटिंग के वक्त उनकी दोस्ती अपने जमाने के सुपर स्टार गुरु दत्त से हो गई। कुछ समय बाद अशोक कुमार ने अपनी फिल्म में देव आनंद को एक बड़ा ब्रेक दिया। बस यहीं से देवआनंद की किस्मत पलट गई और भारतीय सिनेमा को एक शानदार एक्टर और डायरेक्टर मिला।

    फिल्मों में आने से पहले धर्मेंद्र हैंड पंप बनाने वाली कंपनी में सुपरवाइजर थे
    धर्मेंद्र फिल्मों में आने से पहले एक हैंडपंप बनाने वाली कंपनी में बतौर सुपरवाइजर काम किया करते थे। इसके बाद वे भारतीय रेलवे क्लर्कभी रहे। जिंदगी के कई साल धर्मेंद्र ने यही काम किए। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ने की ललक उन्हें हमेशा रही। इसी दौरान पंजाब में फिल्म फेयर नव प्रतिभा अवॉर्ड जीतने के बाद तो मानों धर्मेंद्र के सपनों को उड़ान मिल गई। यह अवॉर्ड जीतने के बाद धर्मेंद्र काम की तलाश में मुंबई आ गए। अर्जुन हिंगोरानी डायरेक्टेड फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' से धर्मेंद्र ने फिल्मी करियर की शुरूआत की। 60 के दशक में रिलीज हुई ब्लैक एंड व्हाइट फिल्मों में अपनी एक्टिंग के रंग बिखेरने वाले धर्मेंद्र को जल्दी ही एक रोमांटिक हीरो के तौर पर पहचान मिलने लगी, लेकिन 70 के दशक के मध्य में धर्मेंद्र एक्शन फिल्मों के हीरो बन गए।

    source: dainikbhaskar

     

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