सफलता-असफलता और आशा निराशा, जिंदगी के वो अनछुए पहलू हैं, जिसमें इंसान अपनी पूरी जिंदगी गुजार देता है। जिस तरह खुशी और गम कुछ पल के लिए हैं वैसे ही आशा और निराशा भी जिंदगी में आते-जाते रहते हैं। लेकिन ऐसे नाजुक वक्त में अपने-परायों की पहचान होती है। साथ ही ये एहसास भी होता है कि हम इन्हे कैसे लेते हैं। मुश्किल घड़ी में हम कितना संयम रख पाते हैं या कौन ऐसा होता है, जो हमें आगे बढ़ने के लिए इनकरेज करता है? ऐसे ही कई सवालों के जवाब दिए बॉलीवुड के हिट स्टार्स ने अपने उन अनछुए पहलुओं को शेयर करते हुए जब वो निराश थे और उस दौरान कोई उनकी जिंदगी में आशा की किरण बन कर आया।
सलमान खान
मेरी जिंदगी मे इतने उतार-चढ़ाव आए हैं कि मैं खुद को कैसे मेंटली प्रिपेयर करता हूं, ये मैं ही जानता हूं। एक समय मैं इतना गुस्सेवाला था कि लोग मुझसे बात करने में भी डरते थे। लेकिन अब मैंने गुस्से पर काबू पा लिया है और अपने ऊपर आई मुसीबत को मै पीसफुली लेता हूं। मेरा सबसे बुरा वक्त तब था, जब मैं जेल गया था। उस वक्त मैं मेंटली इतना टूट चुका था कि मुझे लगता था मैं इससे बाहर नहीं आ पाऊंगा। तब मेरे कई दोस्तों ने मुझे सपोर्ट किया। घर वालों ने मुझे पागल होने से संभाला। उसके बाद भी जिंदगी मे कई ऐसे क्षण आए, जिसने मुझे अंदर तक तोड़ के रख दिया। लेकिन इन मुसीबतों से मैंने यही सीखा कि अगर हम हंसना सीख जाएं तो बड़ी से बड़ी मुसीबत भी छोटी हो जाती है। जिंदगी मेरा मजाक उड़ाए इससे पहले मैंने जिदंगी का मजाक उड़ाना सीख लिया। बस इसी तरह निराशा में आशा की किरण मुझे दिखी और मैं आगे बढ़ता गया।
कंगना रनोट
अगर मैं कहूं कि मुश्किलें इंसान को मजबूत बना देती हैं तो ये गलत नहीं होगा। एक अकेली लड़की के लिए ग्लैमर वर्ल्ड में खुद को स्टेबलिश करना काफी टफ था। स्ट्रगल के दौर में कई बार ऐसा होता था कि मेरे पास रात के खाने के पैसे नहीं होते थे तो मैं वड़ा पाव खाकर या कई बार भूखे ही समय निकाल लेती थी। ऊपरवाले के करम से एक्टिंग करियर में जब मेरी शुरुआत हुई तो उसके बाद से आज तक मुझे कभी काम की कमी नही पड़ी। हालांकि मुंबई में कदम जमाने के लिए मुझे जिन तकलीफों का सामना करना पड़ा वो मैं ही महसूस कर सकती हूं। लेकिन इन तकलीफों ने ही मुझे दुनिया से लड़ना सिखाया। यहां मेरी कुछ अच्छे लोगों से भी पहचान हुई, जिन्हें मेरे टैलेंट पर भरोसा था। बस उन्हीं के विश्वास की वजह से मैं इंडस्ट्री मे अपनी अलग पहचान बना पाई और फैशन, तनु वेड्स मनु और क्वीन जैसी हिट फिल्में दीं।
अमिताभ बच्चन
एक समय तो ऐसा था कि मुझे सिवाय निराशा के कुछ हाथ नहीं लगता था। शुरुआत में मैं एकदम पतला और लंबा था। लिहाजा मैं जहां भी फिल्मों में काम मांगने जाता मुझे रिजेक्ट कर दिया जाता था। कुछ लोगों ने तो मुझे इलाहाबाद वापस जाने का टिकट तक देने की बात की। उसके बाद एक बार जब मैं रेडियो में बतौर एंकर बात करने गया तो पता चला कि उनको मेरी आवाज पसंद नहीं है। इसी तरह लगातार निराशा देख कर मैं कई बार हताश हो जाता था। उस वक्त मेरे फ्लॉप करियर के दौरान जया ने मेरा साथ दिया था। तब वो हिट हीरोइन थी। उसने मुझे कहा निराश मत होओ, समय आने पर सब ठीक हो जाएगा। उसके बाद मुझे आनंद, नमक हराम, जंजीर, जैसी फिल्मों में काफी पंसद किया गया और मेरा एक्टिंग करियर चल निकला।
बिपाशा बसु
हर इसांन की जिंदगी मे एक वक्त ऐसा आता है जब वो डिप्रेशन में जाने लगता है और अपने आप को अकेला महसूस करता है। ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ जब मेरा करियर असफलता की ओर बढ़ रहा था। साथ ही मुझे हेल्थ की प्रॉब्लम भी हो गई थी। उस पर प्यार में मिली असफलता के चलते मैं इतनी डिप्रेस हो गई थी कि कमरा बंद करके रोती थी। लेकिन कहते हैं वक्त एक जैसा नहीं रहता। धीरे-धीरे सब ठीक होने लगा। मैं भी नार्मल हो गई। एक्टिंग करियर भी ठीक चलने लगा। लेकिन तब मैंने जाना कि बुरे वक्त में अच्छी सेहत ही आपका साथ देती है। इसलिए मैं हेल्थ को लेकर पहले से और ज्यादा सतर्क हो गई हूं।
गोविंदा
एक समय ऐसा था कि मेरे नाम पर फिल्में बिकती थीं। मैं नंबर वन हीरो की सीरिज में था। लेकिन उसके बाद अचानक मेरी जिंदगी में ऐसा दौर आया कि मेरा एक्टिंग करियर चौपट हो गया। साथ ही मुझे फोबिया की बीमारी हो गई थी, जिसमें ऐसा लगता था जैसे कोई मारने की कोशिश कर रहा है। लोगों ने यह कह दिया कि मेंटली डिस्टर्ब हो गया हूं। उसी दौरान मेरी फैमिली कार से जयपुर जा रही थी तो एक्सीडेंट भी हो गया। तब मैं काफी नर्वस हो गया था और मेरे अपनों ने भी साथ छोड़ दिया था। बावजूद इसके मैं कभी घर नहीं बैठा साल में दो या तीन फिल्में तो कर ही रहा था लेकिन वो खास नहीं चल रही थीं। लिहाजा मेरा मोरल डाउन होना शुरू हो गया था। उस दौरान मैं पर्सनली और प्रोफेशनली डिस्टर्ब हो गया था। उसके बाद सलमान खान ने अपनी दोस्ती निभाई और मैंने उनकी फिल्म 'पार्टनर' में काम किया और फिल्म हिट रही, जिससे मेरा कॉन्फिडेंस लौटा।
सैफ अली खान
करियर की शुरूआत में मेरे उपर कई सारे इल्जाम लगे थे। जैसे मैं गैरजिम्मेदार हीरो हूं। नवाब हूं इसलिए करियर को लेकर सीरियस नहीं हूं। जबकि मैं बिल्कुल अपोजिट था। मुझे एक्टिंग से प्यार था और यही वजह है कि मैं एक्टिंग करियर को लेकर सीरियस भी था। हालांकि क्रिटिक्स के ताने सुन-सुन कर मैं निराश हो गया था और इंडस्ट्री छोड़ने के बारे में सोच रहा था। मैंने जब ये बात मां को बताई तो उन्होंने कहा मैं सिर्फ और सिर्फ काम पर ध्यान दूं। अगर मैं ऐसा करूंगा तो एक दिन जरूर दर्शकों का चहेता बन जाऊंगा। मैंने वैसा ही किया और उसके बाद मेरी फिल्में ये दिल्लगी, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, सुरक्षा हिट रहीं। इसके बाद फिल्ममेकर भी मुझे सीरियसली लेने लगे और मेरी एक्टिंग की गाड़ी चल निकली।
शाहिद कपूर
कड़े संघर्ष के बाद जब मेरी फिलम 'इश्क विश्क' रिलीज हुई तो वह सुपरहिट रही। और मैं रातोरात स्टार बन गया। मुझे कई सारी फिल्में भी ऑफर हुईं। मुझे लगा कि अब मुझे पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ेगा। लेकिन अफसोस 'इश्क विश्क' के बाद मेरी लगातार दो फिल्में 36 चाइना टाउन और चुपके-चुपके फ्लॉप हो गईं। इन दो फिल्मों की असफलता ने मुझे इतना तोड़ दिया कि मुझे खुद पर भरोसा नहीं रहा कि मैं एक्टर हूं भी या नहीं। उसके बाद मेरे पास जो फिल्में थीं वो भी हाथ से चली गईं और मैं बेहद निराश हो गया। खैर, निराशा के बीच आशा की किरण बनकर आई सूरज बड़जात्या की फिल्म 'विवाह'। इसकी शूटिंग के दौरान मैं इतना नर्वस था कि हर शॉट के बाद सूरज जी के पूछता था- मैंने शॉट अच्छा दिया ना? विवाह मेरे लिए मील का पत्थर साबित हुई और इसके बाद मुझे कमीने मिली और वो भी हिट रही।
सिद्धार्थ मल्होत्रा
फिल्मों में आने से पहले मैं दिल्ली मे रहता था। और वहां दोस्तों के कहने पर खुद को मॉडल मानकर माडलिंग शुरू की। उसके बाद मुझे एक बड़ी फिल्म का ऑफर मिला तो मैं मुंबई आ गया। यहां मुझे रहने-खाने की व्यवस्था थी। मैं दिल्ली में सबको बोल के आया कि मैं बड़ी फिल्म करने जा रहा हूं और जल्द हीरो बनकर लौटूंगा। मेरी मां ने सबको मेरे हीरो बनने के बारे में बोल दिया लेकिन यहां सीन उल्टा ही हो गया। वो फिल्म बंद हो गई और मुझे मुंबई के अंधेरी में तीन लोगों के साथ शेयरिंग में पेइंग गेस्ट बनकर रहना पड़ा। तब मेरी ऐसी हालत हो गई थी कि मैं ना तो दिल्ली जा सकता था और ना ही मुंबई मे रहने के लिए पैसे थे। उस वक्त मैं बेहद निराश हो गया था। तभी आशा की किरण बनकर आए करन जौहर, जिन्होंने मुझे बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर चांस दिया और बाद में मुझे 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर में काम करने का मौका दिया
विद्या बालन
मेरा मानना है कि हर एक स्टार की जिंदगी मे एक्टिंग करियर के दौरान ऐसा समय आता है, जब उसे लगता है कि उसका यहां कोई नहीं है। या तो उसे लाइन चेंज कर लेनी चाहिए या सब्र करना चाहिए। मैंने दूसरा वाला ऑप्शन चुना। मैंने करियर की शुरुआत बचपन में टीवी सीरियल 'हम पांच' से की थी। उसके बाद पढ़ाई में व्यस्त हो गई। बाद में मैंने तमिल और मलयालम फिल्में कीं। यहां बुरा अनुभव रहा। कुछ प्रोड्यूसर ने तो मुझे जन्म कुंडली तक लाने को बोल दिया ताकि वो देख सकें कि मेरी कुंडली फिल्म को फ्लॉप तो नहीं बना देगी। उस दौरान मैं इतनी निराश हो गई थी कि खुद को कमतर समझने लगी थी। तब फैमिली ने मेरा साथ दिया। मेरी बड़ी बहन और मां ने मेरा कॉन्फिडेंस बनाए रखा। साउथ फिल्म इंडस्ट्री में सफलता न मिलने के बाद मैंने डिसाइड किया कि अब साउथ इंडस्ट्री में कोशिश नहीं करूंगी। उसके बाद मैंने म्यूजिक वीडियो मे काम शुरू किया तो मुझे प्रदीप सरकार ने देखा और फिल्म 'परिणीती' के लिए साइन किया। फिल्म सुपरहिट रही और मेरी एक्टिंग की गाड़ी चल निकली।
उर्मिला मातोंडकर
अपने अनुभव से यही जाना कि अगर ऊपर वाले की मेहरबानी हो और हमारे अंदर कुछ कर दिखाने का जुनून हो तो वक्त जरूर बदलता है। ऐसा ही मेरे साथ तब हुआ जब मेरी एक फिल्म अचानक हिट हुई और उसके बाद मैं रातोरात स्टार बन गई। फिल्म का नाम था 'रंगीला'। इससे पहले मैंने कई फिल्मों में काम किया लेकिन सभी एवरेज ही चलीं। इसकी वजह से मेरा करियर धीरे-धीरे असफलता की ओर बढ़ रहा था। तब मैं काफी डिप्रेस्ड हो रही थी। हालांकि मैंने हार नहीं मानी और लगातार मेहनत करती रही। आखिरकार मेरी मेहनत रंग लाई।
source: dainik bhaskar